बॉलीवुड को हमेशा गालियां पड़ती है, रीमिक्स और दूसरी इंडस्ट्री का कॉन्टेंट चुराने के लिए, लेकिन तालियां कौन बजायेगा वो भी तब जब बॉलीवुड में कुछ ओरिजनल एकदम डिफरेंट ट्राई किया है? सही सुना आपने, शायद अच्छे दिन आ गए. ‘Action hero’ जितना अटपटा और अजीब सा movie का नाम है, कॉन्टेंट भी उतना ही अलग और एक्सपेरिमेंटल टाइप का है. ऐसा शायद आपने कुछ देखा ही नहीं होगा.
An Action Hero IMDB Rating
IMDB Rating | 7.4/10 |
Writer Rating | 3.5/5 |
Story
कहानी एक सुपरस्टार की है, जो मुंबई से हरियाणा आया अपनी नई फ़िल्म की शूटिंग करने, यहाँ कहानी में एक नेता जी हैं जो अपने ऐक्शन हीरो के जबरदस्त फैन हुआ करते थे. लेकिन उसको जान से मारना इनकी लाइफ का एकलौता मिशन बन चुका है. क्योंकि इनके हिसाब से इस फ़िल्म में ऐक्शन हीरो ने रियल लाइफ में विलेन बनकर नेताजी के छोटे भाई का मर्डर कर दिया है. अब फिल्मों में तो लोग मर के जिन्दा हो जाते हैं, लेकिन असली जिंदगी में तो ऐसा नहीं होता है, मतलब मर्डर तो हुआ है.
क्या है मिस्ट्री? इस व्यक्ति को किसने मारा है? क्या लोगों को मारने की ऐक्टिंग करने वाला हीरो, रियल लाइफ में किसी को जान से मारने की हिम्मत कर सकता है? नहीं समझ में आया कुछ, एक्चुअली मैं चाहता ही नहीं हूँ कि आप सिर्फ सुनकर सब कुछ समझ जाओ, ये फिल्म जब देखोगे ना तब दिमाग को असली मज़ा आएगा. जी हाँ, ऐक्शन हीरो उस टाइप की बॉलीवुड फ़िल्म नहीं है जिसमे आप सो जाओ और बीच बीच में फ़ोन पे टाइम पास कर लो
Twist and Turn और Interesting Point
इस फ़िल्म को लिखा गया है काफी चालाक तरीके से, आगे क्या होगा? कैसे होगा? किसके साथ होगा? पहले से प्रेडिक्ट करना असंभव है. फिल्ममेकर्स हमेशा एक कदम आगे रहेंगे आप से, जो स्क्रीन पर दिखाया जाता है, चुपचाप देख लो, दिमाग लगाओगे तो हार जाओगे.
कॉन्सेप्ट काफी यूनिक टाइप का है. हमेशा हम कैमरा के आगे ऐक्टर क्या करता है? वह देखकर घर लौट आते हैं, लेकिन कैमरा बंद होने के बाद ये ऐक्टर रियल लाइफ में कौन है? इस सवाल का जवाब शायद किसी के पास नहीं होगा, वही पहेली सुलझाने का काम किया है इस फ़िल्म ने. वैसे इस फ़िल्म को बनाने का तरीका शायद आपको ऐक्चुअल फ़िल्म से ज़्यादा पसंद आएगा.
हाँ, एक चीज़ जरूर है, फ़िल्म को थोड़ा लॉजिकल बनाया जा सकता था जिससे फ़िल्म की कहानी और ज्यादा जेन्यूइन ऑथेंटिक फील होती. समझ रहे हो कुछ सीन्स हैं जो एकदम इम्पॉसिबल टाइप के है, लॉजिक से दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं है इनका. ये फ़िल्म का कॉन्टेंट कमज़ोर कर देते है. बट क्लाइमैक्स में जाके थोड़ा संभाल लिया है. उनका एन्डिंग जबरदस्त है, वहाँ दिमाग का इस्तेमाल करके लॉजिक को इग्नोर मार दोगे. इसमें ऐसे ट्विस्ट और टर्न डाले गए हैं.
बाकी इस फ़िल्म को मुझे नहीं पता मेकर्स ने फालतू आइटम सॉन्ग के दम पर बेचने की कोशीश क्यों की? शायद इन दो सॉन्ग्स के अलावा लोगों को इस फ़िल्म के बारे में कुछ और पता भी नहीं होगा. जब कॉन्टेंट इतना सॉलिड था तो ऑडियंस को उसका लालच देकर थिएटर बुलाना चाहिए था. अब वो ज़माना गया जब लोग आइटम सॉन्ग देखने के लिए दो घंटे बर्बाद करते थे.
Actors और Acting
ऐक्टिंग में आयुष्मान खुराना हमेशा अपना बेस्ट देते हैं हाँ, ये बात अलग है की ये सब्जेक्ट थोड़ा मुश्किल टाइप का है. इसीलिए फ़िल्म में कुछ सीन्स ओवर ऐक्टिंग या फिर लाउड लग सकते हैं. लेकिन अप्रिशिएट करुँगी मैं दिल से इनको, इतने यूनीक सब्जेक्ट को बॉलीवुड में लाने के लिए. यदि स्क्रिप्ट का सलेक्सन का अवार्ड होता, तो ये बंदा हर साल जीतता. लेकिन उनसे भी बड़े सरप्राइज़ है जयदीप अहलावत. बंदे ने हरयाणवी एक्सेंट का इस्तेमाल किया है अपने कैरेक्टर को इंट्रेस्टिंग बनाने के लिए
Positive Stars
मेरी तरफ से ऐक्शन हीरो को मिलेंगे पांच में से साढ़े तीन स्टार्स. पहला स्टार, कॉन्सेप्ट पर, फ़िल्म स्टार की फिल्मी लाइफ नहीं, सिर्फ लाइफ को कैमरे पर लाइव दिखाना. दूसरा स्टार राइटिंग के लिए, जबरदस्त सॉलिड डार्क कॉमेडी जो लोगो को पसंद जरूर आएगी. तीसरा डायरेक्शन यूनीक है, अच्छा या बुरा मैं कन्फर्म नहीं हूँ, लेकिन अलग बहुत है. ट्रैजिडी को कॉमेडी में बदलकर पब्लिक को हंसाना आसान नहीं है. और आधा स्टार फ़िल्म में डाले गए रैप सॉन्ग के लिए, बहुत अंडररेटेड सॉन्ग है वो, मै आइटम सॉन्ग की बात नहीं कर रहा हूँ.
Negative Stars
नेगेटिव में सबसे बड़ी वीकनेस लगी मुझे आयुष्मान वर्सिस जयदीप अहलावत वाले सीन्स में, वो सॉलिड इम्पैक्ट का मिसिंग होना जब ये आमने सामने आते हैं तो अंदर से फील होना चाहिए, धमाका होगा, मुकाबला होगा, लेकिन फ़िल्म वैसे ही नॉर्मल चलती रहती है. और आधा स्टार जानबूझकर कुछ सीन से लॉजिक को दूर रखना, बहुत सारी चीजें बस आप मान लो सवाल मत पूछो,
बाकी रिव्यु आपको पसंद आया हो तो कमेंट और शेयर करना न भूले.