आज हम बात करेंगे 90 के दशक में अपने गानों से रोमांस को जिंदा कर देने वाले आवाज के जादूगर कुमार सानू के बारे में. आप पढेंगे उनके जीवन के उतार-चढ़ाव और बॉलीवुड की कुछ ऐसे कही-अनकही कहानियों-किस्सों के बारे में, जिसे हर कोई नहीं जानता है. जहां फिल्म फेयर अवार्ड लोगों को एक मुकाम तक पहुंचा देता है, वही लगातार पांच बार फिल्म फेयर अवार्ड पाने वाले कुमार सानू का कैरियर फिल्म फेयर ने कैसे समाप्त कर दिया.
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कुमार सानू का असली नाम क्या है?
कुमार सानू का असली नाम केदारनाथ भट्टाचार्या है. जब कुमार सानू कल्याणजी-आनंदजी से पहली बार मिले तो उन्होंने कहा कि तुम बंगाली हो, और लोग यही समझेंगे कि तुम अच्छे से हिंदी का उच्चारण कर गा नहीं सकोगे, तुम्हारा नाम ही तुम्हारा सबसे नेगेटिव पॉइंट है. सानू ने बोला मेरा नाम sanu भट्टाचार्या है यही रख देते है, उन्होंने कहा नहीं हम ऐसा नाम रखेंगे जिससे किसी को ना पता चले कि तुम किस जाति के हो. फिर उन्होंने कुमार सानू नाम दिया. बोले इससे पता नहीं चलेगा कि तुम कौन सी जात के हो.
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कुमार सानु का पहला हिंदी गाना कौन सा है?
कुमार सानु को हिंदी गाने के लिए पहला ब्रेक दिया था जगजीत सिंह ने, एक दिन वेस्टर्न आउटडोर रिकॉर्डिंग स्टूडियो में कुमार सानु किशोर दा के गानों का डेमो कैसेट बना रहे थे. तभी वहां जगजीत सिंह आ गए, उन्होंने मेरी आवाज सुनी वहां के रिकार्डिस्ट से पूछा यह कौन गा रहा है. उन्होंने बताया एक बंगाली लड़का आया सानू करके, उन्होंने कहा बुलाओ जरा उससे. कुमार सानू वहां आए, जगजीत सिंह ने कहा मेरे घर आकर मिलो मुझसे. जब कुमार, जगजीत जी घर पहुंचे उन्होंने कल्याणजी-आनंदजी से मिलवाया. उन्होंने 1989 में आई फिल्म ‘जादूगर’ के लिए ‘मैं जादूगर’ सॉन्ग गाया था. कुमार सानू के कैरियर का पहला हिट सॉन्ग था, “जुर्म” फिल्म से ‘जब कोई बात बिगड़ जाए’. लेकिन आशिकी फिल्म के गाने ने उन्हें सुपरस्टार बना दिया.
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कैसे फिल्म फेयर ने कुमार सानु के कैरियर को ख़तम कर दिया?
कुमार सानू ने अपने जीवन भर में 9500 से भी ज्यादा गाने गाए हैं. 90 के दशक में उन्होंने एक के बाद एक हिट सॉन्ग दिया था. जिसके वजह से 1991 से लेकर 1995 तक उन्हें लगातार फिल्म फेयर पुरस्कार से नवाजा गया. पांच बार अवार्ड लेने के बाद कुमार सानू ने कहा, “यदि यह पुरस्कार किसी नए सिंगर को मिले तो मुझे बहुत ख़ुशी होगी.” लेकिन कुमार सानू के अनुसार, प्रिंट मीडिया ने लिखा के, “कुमार सानू ने फिल्म फेयर अवार्ड को इग्नोर कर दिया है.” जिसके वजह से फिल्म फेयर के लोग गुस्सा हो गए.
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कुमार सानू भी इस बात को मानते हैं की उनका कैरियर इसी बात की वजह से डूब गया. उसके अगले साल शाहरुख की सुपरहिट फिल्म ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे’ आई थी जिस के सारे गाने सुपरहिट हुए थे. जिसमें कुमार सानू का एक गाना ‘तुझे देखा तो ये जाना सनम’ बहुत ही हिट हुआ था. लेकिन कुमार सानू को यह पुरस्कार नहीं दिया गया. इसी फिल्म के दूसरे गाने के लिए उदित नारायण को फिल्म फेयर का ‘बेस्ट सिंगर का अवार्ड’ दिया गया, वह गाना था ‘मेहंदी लगा के रखना’ और इस तरह से कुमार सानू के जीवन से सर्वश्रेष्ठ गायक का पुरस्कार दूर हो गया.
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ए आर रहमान को कुमार सानु म्यूजिकल डायरेक्टर क्यों नहीं मानते?
जैसा कि आप जानते हैं ए आर रहमान न केवल भारत में बल्कि पूरे वर्ल्ड में फेमस म्यूजिक डायरेक्टर है. इस सवाल के जवाब में के कुमार सानु उन्हें म्यूजिक डायरेक्टर क्यों नहीं मानते? कुमार सानु कहा, ‘उन्होंने मुझे कभी सिंगर माना ही नहीं, तभी तो उन्होंने मुझे कभी गाने का मौका नहीं दिया” फिर उन्होंने कहा यदि वह मुझे कभी भी बुलाएंगे तो मैं गाने को तैयार हूं. आपको बता दें कि कुमार सानू ने ए आर रहमान के साथ सिर्फ एक गाना ‘मिल गई मंजिले’ गया है.
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